हिन्दी
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हिन्दी | ||||||
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हिन्दी या मानक हिन्दी | ||||||
शब्द "हिंदी" देवनागरी में | ||||||
उच्चारण: | हिन्दुस्तानी उच्चारण: [ˈmaːnək ˈɦin̪d̪iː] | |||||
बोलने का स्थान: | भारत एवं नेपाल, दक्षिण अफ्रिका, पाकिस्तान(हिन्दुस्ता | |||||
सुरुवात: | १९९१ | |||||
मातृभाषाप्रयोगकर्ता: | १८० मिलियन ४९ करोड़ (२००८)[1] द्वितीय भाषा: १२-२२.५ करोड़ (१९९९)[2] | |||||
भाषा परिवार: | हिन्द-यूरोपीय | |||||
लिपि | देवनागरी (मुख्यतः), कैथी, लाति एवँ विभिन्न क्षेत्रीय लिपियाँ | |||||
राजभाषा मान्यता | ||||||
औपचारिक मान्यता: | None | |||||
नियन्त्रक संस्था: | केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय[3] | |||||
भाषा कोड: | ||||||
आइएसओ 639-1 | hi | |||||
आइएसओ 639-2 | hin | |||||
आइएसओ 639-3 | hin | |||||
भाषाविद् सूची | hin-hin | |||||
भाषावेधशाला | 59-AAF-qf | |||||
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हिन्दी संवैधानिक रूप से भारत की प्रथम राजभाषा और भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। चीनी के बाद यह विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भी है।
हिन्दी
और इसकी बोलियाँ उत्तर एवं मध्य भारत के विविध राज्यों में बोली जाती हैं।
भारत और अन्य देशों में ६० करोड़ से अधिक लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और
लिखते हैं। फ़िजी, मॉरिशस, गयाना, सू रीनाम की अधिकतर और नेपाल की कुछ जनता हिन्दी बोलती है।
हिन्दी
राष्ट्रभाषा, राजभाषा, सम्पर्क भाषा, जनभाषा के सोपानों को पार कर
विश्वभाषा बनने की ओर अग्रसर है। भाषा विकास क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिकों
की भविष्यवाणी हिन्दी प्रेमियों के लिए बड़ी सन्तोषजनक है कि आने वाले समय
में विश्वस्तर पर अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की जो चन्द भाषाएँ होंगी उनमें
हिन्दी भी प्रमुख होगी।
अनुक्रम
[छुपाएँ]- 1 हिन्दी शब्द की व्युत्पत्ति
- 2 हिन्दी एवं उर्दू
- 3 परिवार
- 4 हिन्दी का निर्माण-काल
- 5 इतिहास क्रम
- 6 हिन्दी की विशेषताएँ एवं शक्ति
- 7 हिन्दी का मानकीकरण
- 8 हिन्दी की शैलियाँ
- 9 हिन्दी की बोलियाँ
- 10 शब्दावली
- 11 स्वर शास्त्र
- 12 भारत की राजभाषा के रूप में हिन्दी
- 13 हिन्दी की गिनती
- 14 व्याकरण
- 15 हिन्दी और कम्प्यूटर
- 16 हिन्दी और जनसंचार
- 17 हिन्दी का वैश्विक प्रसार
- 18 संदर्भ
- 19 इन्हें भी देखें
- 20 बाहरी कड़ियाँ
हिन्दी शब्द की व्युत्पत्ति
हिन्दी शब्द का सम्बन्ध संस्कृत शब्द सिन्धु से माना जाता है। 'सिन्धु' सिन्ध नदी
को कहते थे ओर उसी आधार पर उसके आस-पास की भूमि को सिन्धु कहने लगे। यह
सिन्धु शब्द ईरानी में जाकर ‘हिन्दू’, हिन्दी और फिर ‘हिन्द’ हो गया। बाद
में ईरानी धीरे-धीरे भारत के अधिक भागों से परिचित होते गए और इस शब्द के
अर्थ में विस्तार होता गया तथा हिन्द शब्द पूरे भारत का वाचक हो गया। इसी
में ईरानी का ईक प्रत्यय लगने से (हिन्द ईक) ‘हिन्दीक’ बना जिसका अर्थ है
‘हिन्द का’। यूनानी शब्द ‘इन्दिका’ या अंग्रेजी शब्द ‘इण्डिया’ आदि इस
‘हिन्दीक’ के ही विकसित रूप हैं। हिन्दी भाषा के लिए इस शब्द का प्राचीनतम
प्रयोग शरफुद्दीन यज्+दी’ के ‘जफरनामा’(१४२४) में मिलता है।
प्रोफ़ेसर
महावीर सरन जैन ने अपने " हिन्दी एवं उर्दू का अद्वैत " शीर्षक आलेख में
हिन्दी की व्युत्पत्ति पर विचार करते हुए कहा है कि ईरान की प्राचीन भाषा
अवेस्ता में 'स्' ध्वनि नहीं बोली जाती थी। 'स्' को 'ह्' रूप में बोला जाता
था। जैसे संस्कृत के 'असुर' शब्द को वहाँ 'अहुर' कहा जाता था।
अफ़ग़ानिस्तान के बाद सिन्धु नदी के इस पार हिन्दुस्तान के पूरे इलाके को
प्राचीन फ़ारसी साहित्य में भी 'हिन्द', 'हिन्दुश' के नामों से पुकारा गया
है तथा यहाँ की किसी भी वस्तु, भाषा, विचार को 'एडजेक्टिव' के रूप में
'हिन्दीक' कहा गया है जिसका मतलब है 'हिन्द का'। यही 'हिन्दीक' शब्द अरबी
से होता हुआ ग्रीक में 'इन्दिके', 'इन्दिका', लैटिन में 'इन्दिया' तथा
अंग्रेज़ी में 'इण्डिया' बन गया। अरबी एवँ फ़ारसी साहित्य में हिन्दी में
बोली जाने वाली भाषाओं के लिए 'ज़बान-ए-हिन्दी', पद का उपयोग हुआ है। भारत
आने के बाद मुसलमानों ने 'ज़बान-ए-हिन्दी', 'हिन्दी जुबान' अथवा 'हिन्दी'
का प्रयोग दिल्ली-आगरा के चारों ओर बोली जाने वाली भाषा के अर्थ में किया।
भारत के गैर-मुस्लिम लोग तो इस क्षेत्र में बोले जाने वाले भाषा-रूप को
'भाखा' नाम से पुकराते थे, 'हिन्दी' नाम से नहीं।