कबड्डी
कबड्डी हा मुळात दक्षिण आशियातला व आता आंतरराष्ट्रीय स्तरावर खेळला जाणारा सांघिक मैदानी खेळ आहे. या खेळात दोन संघ मैदानाच्या दोन बाजू राखून आळीपाळीने प्रतिस्पर्धी संघावर चढाया करायला एक खेळाडू पाठवतात. प्रत्येक संघात बारा खेळाडू असतात. प्रत्यक्ष सामन्यात सात खेळाडू खेळतात. इतर पाच खेळाडू बदली खेळाडू म्हणून खेळवले जातात. पुरुषांसाठी वीस मिनिटांचे, तर महिलांसाठी पंधरा मिनिटांचे दोन डाव खेळवले जातात. संपूर्ण सामन्यात बरोबरी झाल्यास पुन्हा पाच मिनिटांचे दोन डाव खेळवतात.
महाराष्ट्र व मध्य प्रदेश या राज्यांत हुतुतू, कर्नाटक व तामिळनाडूमध्ये चाडू-गुडू, केरळमध्ये वंदिकली, पंजाबमध्ये झबर गगने, तर बंगालमध्ये दो-दो या नावाने हा खेळ खेळला जायचा. इ.स. १९३४ मध्ये या खेळाचे नियम तयार झाले. इ.स. १९३६ मध्ये हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडळ, अमरावती यांनी या खेळाच्या प्रसारासाठी बर्लिन ऑलिंपिकमध्ये प्रदर्शनीय सामना खेळून दाखवला. इ.स. १९३८ पासुन हा खेळ भारतात राष्ट्रीय खेळ म्हणून ओळखला जाऊ लागला.
मैदाने[संपादन]
पुरुष, महिलांसाठी वेगवेगळ्या आकाराची मैदाने असतात. पुरुषांसाठी १२.५० मी. बाय १० मी., तर महिलांसाठी ११ मी. बाय ८ मी. असे आयताकृती क्रीडांगण बनवतात. ते बनवताना बारीक चाळलेली माती व शेणखत यांचा वापर करून एकसारखे सपाट मैदान बनवले जाते. पूर्वी फक्त खुल्या मैदानावर होणारा हा खेळ आता बंदिस्त जागेत व मॅटवरही खेळवला जायला लागला आहे.
कबड्डी
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कबड्डी एक खेल है, जो मुख्य रूप से भारतीय उपमहाद्वीप मे खेली जाती है। कबड्डी नाम का प्रयोग प्राय: उत्तर भारत में किया जाता है, इस खेल को दक्षिण में चेडुगुडु और पूरब में हु तू तू के नाम से भी जानते हैं। यह खेल भारत के पड़ोसी देश नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलं का और पाकिस्तान में भी उतना ही लोकप्रिय है। तमिल, कन्नड और मलयालम में ये मूल शब्द, (கை-பிடி) "कै" (हाथ), "पिडि" (पकडना) का रूपान्तरण है, जिसका अनुवाद है 'हाथ पकडे रहना'।
अनुक्रम
[छुपाएँ]परिचय[संपादित करें]
नियम[संपादित करें]
साधारण शब्दों में इसे ज्यादा अंक हासिल करने के लिए दो टीमों के बीच की एक स्पर्धा कहा जा सकता है। अंक पाने के लिए एक टीम का रीडर (कबड्डी-कबड्डी बोलने वाला) विपक्षी पाले (कोर्ट) में जाकर वहां मौजूद खिलाडियों को छूने का प्रयास करता है। इस दौरान विपक्षी टीम के स्टापर (रेडर को पकड़ने वाले) अपने पाले में आए रेडर को पकड़कर वापस जाने से रोकते हैं और अगर वह इस प्रयास में सफल होते हैं तो उनकी टीम को इसके बदले एक अंक मिलता है। और अगर रीडर किसी स्टापर को छूकर सफलतापूर्वक अपने पाले में चला जाता है तो उसकी टीम के एक अंक मिल जाता और जिस स्टापर को उसने छुआ है उसे नियमत: कोर्ट से बाहर जाना पड़ता है।
इसका कोर्ट डॉज बॉल गेम जितना बड़ा होता है। कोर्ट का माप १२॰५० मीटर गुणा 10 मीटर होता है। कोर्ट के बीचोबीच एक लाइन खिंची होती है जो इसे दो हिस्सों में बांटती है। कबड्डी महासंघ के हिसाब से कोर्ट का माँप १३ मीटर गुणा १० मीटर होता है।
खेलने का तरीका[संपादित करें]
खिलाडियों के पाले में आने के बाद टॉस जीतने वाली टीम सबसे पहले अपना खिलाड़ी (रेडर) विपक्षी पाले में भेजती है। यह रेडर कबड्डी-कबड्डी बोलते हुए जाता है और विपक्षी खिलाडियों को छूने का प्रयास करता है। इस दौरान वह इस बात का पूरा ख्याल रखता है उसकी सांस ना टूटे। सांस टूटने की स्थिति में उसे भागकर अपने पाले में लौटना होता और जब तक वह सांस रोके रखकर कबड्डी-कबड्डी बोल सकता है, वह अपनी चपलता का उपयोग कर विपक्षी खिलाडियों (स्टापरों) को छूने का प्रयास कर सकता है। इस प्रक्रिया में अगर वह विपक्षी टीम के किसी भी स्टापर को छूने में सफल होता है तो उस स्टापर को मरा हुआ (डेड) समझ लिया जाता है। ऐसे में उस स्टापर को कोर्ट से बाहर जाना पड़ता है। और अगर स्टापरों को छूने की प्रक्रिया में रेडर अगर स्टापरों की गिरफ्त में आ जाता है तो उसे मरा हुआ (डेड) मान लिया जाता है। यह प्रक्रिया दोनों टीमों की ओर से बारी-बारी चलती रहती है।
इस तरह से हर दल का खिलाड़ी बारी बारी से क्रम बदलते रहते हैं और अंत में जिसके दल में सब्से ज्यादा सदस्य बचे रह जाते हैं उस दल को विजेता घोषित कर दिया जाता है।
खेल की अवधि[संपादित करें]
यह खेल आमतौर पर 20-20 मिनट के दो हिस्सों में खेला जाता है। हर हिस्से में टीमें पाला बदलती हैं और इसके लिए उन्हें पांच मिनट का ब्रेक मिलता है। हालांकि आयोजक इसके एक हिस्से की अवधि 10 या 15 मिनट की भी कर सकते हैं। हर टीम में 5-6 स्टापर (पकड़ने में माहिर खिलाड़ी) व 4-5 रेडर (छूकर भागने में माहिर) होते हैं। एक बार में सिर्फ चार स्टापरों को ही कोर्ट पर उतरने की इजाजत होती है। जब भी स्टापर किसी रेडर को अपने पाले से बाहर जाने से रोकते हैं उन्हें एक अंक मिलता है लेकिन अगर रेडर उन्हें छूकर भागने में सफल रहता है तो उसकी टीम को अंक मिल जाता है।
मैचों का आयोजन उम्र और वजन के आधार पर किया जाता है, परंतु आजकल महिलाओं की भी काफी भागेदारी हो रही है।
पूरे मैच की निगरानी सात लोग करते हैं: एक रेफ़री, दो अंपायर, दो लाइंसमैन, एक टाइम कीपर और एक स्कोर कीपर।
पिछले तीन एशियाइ खेल में भी कबड्डी को शामिल करने से जापान और कोरिया जैसे देशों में भी कबड्डी की लोकप्रियता बढी है।
एशियाई खेलों में कबड्डी[संपादित करें]
वर्ष | स्थान | अन्तिम मैच | तृतीय स्थान के लिए मैच | ||||||
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प्रथम स्थान | परिणाम | द्वितीय स्थान | तृतीय स्थान | परिणाम | चतुर्थ स्थान | ||||
1990 | बीजिंग | भारत | बांग्लादेश | पाकिस्तान | जापान | ||||
1994 | हिरोशिमा | भारत | बांग्लादेश | पाकिस्तान | जापान | ||||
1998 | बैंकाक | भारत | पाकिस्तान | बांग्लादेश | श्री लंका | ||||
2002 | पुसान | भारत | बांग्लादेश | पाकिस्तान | जापान | ||||
2006 | अद-दौहा | भारत | 35–23 | पाकिस्तान | बांग्लादेश | 37–26 | इरान | ||
2010 | गुआनझाऊ |
विश्व कप कबड्डी[संपादित करें]
कबड्डी का विश्व कप सबसे पहले 2004 में खेला गया था। उसके बाद 2007 और 2010 और 2012 में हुआ। अभी तक भारत सभी में विजेता रहा है।
वर्ष | अन्तिम मैच |
२००४ | |
२००७ | |
२०१० | |
२०११ | |
२०१२ |